Thursday, December 25, 2025

भारतीय खेल जगत 2025: उपलब्धियों के बीच विवादों की कसक

 

वर्ष 2025 भारतीय खेल जगत के लिए एक ऐसा वर्ष रहा, जिसमें उपलब्धियों की चमक के साथ-साथ विवादों की छाया भी लगातार बनी रही। खेल, जो अनुशासन, निष्पक्षता और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है, कई बार प्रशासनिक लापरवाही, राजनीतिक हस्तक्षेप और सुरक्षा चूक के कारण चर्चा के केंद्र में रहा।

सबसे अधिक विवाद क्रिकेट से जुड़े रहे। एशिया कप और अन्य बहुपक्षीय टूर्नामेंटो में भारत-पाकिस्तान मुकाबलों के दौरान खिलाड़ियों द्वारा पारंपरिक हैंडशेकसे दूरी बनाए रखने की घटनाएँ सामने आईं। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसे खेल भावना के विरुद्ध बताते हुए औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई। भारत की ओर से स्पष्ट किया गया कि  राष्ट्रीय भावना सर्वोपरि है और जब पाकिस्तान भारत में लगातार आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रहा है तब हैंड शेक की परंपरा को निभाना राष्ट्रीय भावनाओं के विपरीत होगा।

      इसी क्रम में एशिया कप 2025 के दौरान ट्रॉफी प्रस्तुति से जुड़ा प्रोटोकॉल विवाद भी सुर्खियों में रहा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष और वर्तमान में एशिया  क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष मोहसीन नक़वी से भारतीय टीम द्वारा एशिया कप  की विजेता ट्रॉफी लेने से इंकार के बाद भी  मोहसीन नक़वी स्वयम ट्रॉफी प्रदान करने पद अड़े रहे। नतीजा एक घंटे की नाटकीयता के बाद चैम्पियन होने के वाबजूद भारतीय टीम बिना ट्रॉफी जीते लौटी। यह घटना मीडिया और सोशल मीडिया में व्यापक चर्चा का विषय बनी। नक़वी के इस कृत्य की चौतरफा आलोचना हुई , साथ ही आयोजन से जुड़े अस्पष्ट नियम और समन्वय की कमी ने खेल प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े किए। यह घटना बताती है कि बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में स्पष्ट दिशा-निर्देश और संवेदनशील कूटनीतिक समझ कितनी आवश्यक है।



      आईपीएल 2025 जैसे विश्वस्तरीय टूर्नामेंट में भी विवादों की कमी नहीं रही। कुछ मैचों के बाद स्टेडियमों के बाहर भारी भीड़, अव्यवस्थित यातायात और सुरक्षा चूक की स्थितियाँ सामने आईं। मनोरंजन और व्यावसायिक सफलता के इस दौर में दर्शकों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या आयोजनकर्ता और प्रशासन जन-सुरक्षा को पर्याप्त प्राथमिकता दे पा रहे हैं।

      क्रिकेट से इतर अन्य खेलों में भी समस्याएँ उभरकर सामने आईं। विश्व विश्वविद्यालय खेल 2025 में भारतीय खिलाड़ियों का नामांकन समय पर न हो पाने के कारण कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। यह घटना केवल एक प्रशासनिक त्रुटि नहीं, बल्कि उन खिलाड़ियों के करियर पर सीधा आघात थी, जिनका इन खेलों में प्रदर्शन भविष्य तय कर सकता था। इस विवाद ने खेल प्रशासन की संरचनात्मक कमजोरी को उजागर किया।

      भारतीय फुटबॉल भी 2025 में अनिश्चितता के दौर से गुज़रा। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ और व्यावसायिक साझेदारों के बीच मतभेदों के कारण इंडियन सुपर लीग के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। इसका सीधा असर खिलाड़ियों, क्लबों और सहायक कर्मचारियों पर पड़ा, जो खेल के व्यवसायीकरण के साथ मज़बूत और स्थिर ढाँचे की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

      इसके अलावा, कुछ राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में रेफरी के फैसलों पर विवाद, अनुशासनहीन व्यवहार और टकराव की घटनाएँ भी सामने आईं। ये घटनाएँ बताती हैं कि जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को सुदृढ़ करने और नैतिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

      समग्र रूप से देखा जाए तो वर्ष 2025 के अधिकांश विवाद खिलाड़ियों की क्षमता से नहीं, बल्कि प्रशासन, प्रबंधन और नीति-निर्धारण से जुड़े रहे। भारत को वर्ष 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करनी है। अत: आवश्यक है कि पारदर्शी प्रशासन, मजबूत सुरक्षा व्यवस्था, राजनीतिक हस्तक्षेप से दूरी और खिलाड़ी-केंद्रित नीतियों पर ध्यान केन्द्रित क्या जाये।  सिर्फ पदक प्राप्त करना ही किसी भी खेल आयोजन  का एकमात्र लक्ष्य नहीं होता बल्कि ऐसे आयोजन विवाद रहित भी होने चाहिए।

*******************Top of Form

Bottom of Form