Thursday, March 25, 2010

Bihar Divas

विगत २२ से २४ मार्च २०१० तक बिहार दिवस का आयोजन अपने आप में अविस्मरनीय था. २२ मार्च १९१२ को बंगाल प्रेसिडेंसी से बिहार को अलग किया गया था. इस ऐतिहासिक घटना की याद में और बिहारियों में a sense of pride और belongingness विकसित करने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने हर वर्ष २२ मार्च को बिहार दिवस समारोहपूर्वक मनाने का निर्णय लिया है. पिछले तीन दिनों तक इस सन्दर्भ में लोगो में जो उत्साह दिखा वो अदभुत था.मेरे ख्याल से हम बिहारी अपने आप को underestimate करते हैं और यह मानकर चलते हैं की हमारी अलग से कोई संस्कृति और पहचान नहीं है. साथ ही साथ कतिपय कारणों से बिहार के बारे में मिथ्या प्रचार भी बहुत हुआ है.
लेकिन अगर हम पिछले तीन दिनों में गाँधी मैदान में जो माहौल था उसपर अगर गौर करे तो यह स्पष्ट है की बहुत सारी भ्रांतियां अब दूर हो रही हैं . हजारों की संख्या में लोगो ने देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठाया , बिहार के इतिहास पर जो झांकी प्रदर्शित की गई थी वो कई मायनों में बेमिशाल थी. नई पीढ़ी कम से कम यह अच्छी तरह से समझ सकती है की बिहार का वर्तमान चाहे जैसा भी हो इसका अतीत गौरवशाली रहा है. क्या यह हमारे लिए गौरव की बात नहीं है की प्राचीन समय में पाटलिपुत्र दुनिया का सबसे समृद्ध राज्य था. नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे , गौतम बुद्ध, भगवान महावीर, सम्राट अशोक , चन्द्रगुप्त, आर्यभट ऐसे नामों की लम्बी सूचि है जिनका जन्म और कर्म क्षेत्र बिहार रहा है.


इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में बिहार के दूरदराज़ से आये लोगो ,खासकर महिलाओं ,की भागीदारी भी महत्वपूर्ण थी. तलवारबाजी, धीमी साइकिल रेस जैसी प्रतियोगिताएं काफी लोकप्रिय रही.


बिहारी व्यंजन की बात अगर न हो तो शायद यह चर्चा अधूरी रह जायेगी. लाई, लिट्टी चोखा , चुरा दही, खाजा, जैसी बहुत चीजें हैं जो विशुद्ध रूप से बिहारी हैं. इन सबका आनंद भी लोगों ने खूब लिया.

इसमें कही कोई दो राय नहीं की बिहार और बिहारी की भी अपनी एक अलग positive पहचान है. यह भी सत्य है की बिहार की उपेक्षा भी अतीत में हुई है.

But there are enough reasons why we should feel proud of being bihari- The first republic of world, Gautam Buddha got enlightment, Chanakya, the great econmoist and political scientist, The Nalanda University, valmiki wrote ramayan here, Sushrut, the father of surgery, Bhagwan mahavir, Kamsutra of Vatsayana, Aryabhatt-the great astronomer----- the list is endless.


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